Poetry

HIndi and urdu Poetry

संजीव निगम अनाम

7/15/20231 min read

ये जो ट्विटर मुझे हर बात बताने में लगा
नफ़ा नुकसान चुनावों का सिखाने में लगा

भार परिवार का कांधे पे उठाए बचपन
गरीबों का है जो बच्चा वो कमाने में लगा।

जिंदा रहने की जो तरक़ीब गवां कर इंसा
अपनी दस्तार सितारों से सजाने में लगा।

तालियों रैलियों का भाषणों का दौर है ये
टीवी नेता में ही भगवान दिखाने में लगा।

तुम चले आओ भले लाख़ बहाने बस्ती
कोई तो मेढ़ बना खेत बचाने में लगा।